Thursday, October 15, 2009

घनघोर घटा

आसमान में काले बादल जब नीर बरसाते हैं
नदियों में पानी भर जाता, मोर उमंग से आते हैं |

रंग बिरंगे सुन्दर सुमन जब उपवन में खिल जाते हैं
कोयल की मीठी वाणी सबके मन को भा जाती है |

ओस की झिलमिल बूंदे जब दूब पर छा जाती हैं
ऐसा लगता है मनो ओस मुक्ता जाल से शिन्गार्ती है |

अंत में सूरज की किरणे वर्षा को विदा करने आती हैं
इन्द्रधनुष को साथ में लाकर हम सब के दिल को बहलाती हैं ||